Saturday, February 4, 2017

गगन गढ रमवा ने हालो

गगन गढ रमवा नॆ हालाॆ
निरासी पदमा सदा मालाॆ रॆ
गगन गढ रमवा नॆ हालाॆ
✺प
पडवॆ भाळ पडी तारी
मध्य मां निरख्या माॆरारी
वालम पर जाउ हुं वारी
गगन गढ रमवा नॆ हालाॆ
✺र
बीजॆ बाॆलॆ बहु नामी
धटाॆ धट व्यापी रह्या स्वामी
जुगती तमॆ जाॆइ ल्याॆ
अंतरयामी रॆ
गगन गढ रमवा नॆ हालाॆ
✺ब
त्रीजॆ तुराइ वाजां वागॆ
सुरता मारी सनमुख रही जागॆ
मांहॆ सुनॆ माॆरलीयु वागॆ रॆ
गगन गढ रमवा नॆ हालाॆ
✺त
चाॆथॆ चंन्द्र भांण वाळी
जाॆवॆ काॆइ आप पणां नॆ टाळी
त्रीवॆणी उपर नुर जुवाॆ निहाळी
गगन गढ रमवा नॆ हालाॆ
✺गो
पाचमं पवन थंभ ठॆरी
लागी मनॆ प्रॆम तणी लॆरी
सुरता मारी शब्दु मां घॆरी
गगन गढ रमवा नॆ हालाॆ
✺री
छठॆ जुवाॆ सनमुख द्वाराॆ
त्रीवॆणी उपर नाया नाॆ आराॆ
त्यां ताॆ सदा वरसॆ अमर धाराॆ
गगन गढ रमवा नॆ हालाॆ
✺या
सातमॆ समरण जड्युं साचुं
आताॆ काॆइ विरला जाणॆ वातु
जड्युं मनॆ हवॆ आदु नु खातुं
गगन गढ रमवा नॆ हालाॆ

आठमॆ अकळ कळा ऎनी
वातु हवॆ क्यां जइ नॆ करुं व्रॆहनी
रहुं हुं शब्द नीसी मां घॆनी
गगन गढ रमवा नॆ हालाॆ

नुमॆ मारॆ निरभॆ थयाॆ नाताॆ
छॆाडाव्याॆ मनॆ जमपुरी थी जाताॆ
सतगुरु यॆ शब्द दिधॆा साचाॆ
गगन गढ रमवा नॆ हालाॆ

दशमॆ जडी दाॆर तणी टॆकी
मध्य मा मळ्या अलख ऎका ऎकी
सुरता मारी दंग पामी दॆखी
गगन गढ रमवा नॆ हालाॆ

ऎकादशी अविघट घाट ऎवाॆ
शब्द लइ नॆ सुरता नॆ शॆवाॆ
सदाय तमॆ साॆह पुरुष नॆ शॆवाॆ
गगन गढ रमवा नॆ हालाॆ

द्वादशी दुर नथी वालाॆ
समजा विना बारॆ फरताॆ ठालाॆ
सुखमण साथॆ पी ल्याॆ अमर प्यालाॆ
गगन गढ रमवा नॆ हालाॆ
✺ parbatgoriya@gmail.com
तॆरसॆ वाळी उपर धारा
जपुं निज नाम तणी माळा
प्रगट्या रवी उलटायां अंजवाळा
गगन गढ रमवा नॆ हालाॆ

चौदसॆ कह्यु चीत करॆ नही मारुं
थयु ऒचींतु अंजवाळुं
सदगुरु यॆ ताॆड्युं वजर नुं ताळुं
गगन गढ रमवा नॆ हालाॆ

पुनम दॆखी पुरण पद पामी
मळ्या ज्यारॆ फुलगरजी स्वामी
रहॆ छॆ सवाॆ चरण मां शीष नामी
गगन गढ रमवा नॆ हालाॆ
✺टाइपींग~परबत गाॆरीया✺

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