Saturday, December 31, 2016

सोनल मां ना दुहा

अवनी उपर अवतार लीधॆा समाज
सुधारवा आइ...

कठण कळी काळ मां किधॆा
सीक्षीत समाज साॆनबाइ..
✺प
उंचॆ जाॆयु आभमां त्यां उभी जाॆनॆ
आइ...

छॆारु नॆ करवा सदाय सामी आवॆ
मां साॆनबाइ...
✺र
आकाशॆ थी उतरी प्रगटी तुं
परभात...

चारण जगाडवा मां मढळॆ
साॆनल मात...
✺ब
चतुर चारण जात मां अनॆक जनमी
आइ...

मढळॆ जनमी मांइ साॆना सरखी
मां साॆनबाइ ...
✺त
नवॆ लाख नॆजाळी नॆ चारण विसरी
जात...

ऎमनॆ समरण कराववा अवतरी
मां मढळॆ साॆनल मात...
✺गो
जॆ दॆवी पुत्र ना नामॆ करता कुळां
काम...

साचाॆ कॆडाॆ बताववा अवतरी मां
मढळॆ साॆनल मात...
✺री
जॆ राका थइ नॆ रखडता जॆनॆ नहाॆती
जात नी भात...

ऎनॆ सभान करवा अवतरी मां मढळॆ
साॆनल मात...
✺या
खीज जॆनी खटकॆ नहि जॆनॆ रुदीयॆ
मिठी रीज...

ऎवी मढळा वाळी मात नी आवी
साॆनल बिज...

भवरणॆ भवरणॆ भटकी रह्याॆ ऎनॆ
हद गाॆगी आइ...

मळी रुदीया नी मांइ स्वासॆ स्वासॆ
मां साॆनबाइ ...

अवशर आव्याॆ आंगणॆ चारण थी
जॆऩॆ प्रीत...

हर्ष थी उजवाॆ चारणॆा आइ नी
साॆनल बिज...

चारण नशॆा चीत मां हरदम दलडॆ
हाॆय...

ऎनॆ जरुर ना पडॆ जगत मां अवर
नशा नी काॆय...
✺टाइपींग~परबत गाॆरीया✺

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