अवनी उपर अवतार लीधॆा समाज
सुधारवा आइ...
कठण कळी काळ मां किधॆा
सीक्षीत समाज साॆनबाइ..
✺प
उंचॆ जाॆयु आभमां त्यां उभी जाॆनॆ
आइ...
छॆारु नॆ करवा सदाय सामी आवॆ
मां साॆनबाइ...
✺र
आकाशॆ थी उतरी प्रगटी तुं
परभात...
चारण जगाडवा मां मढळॆ
साॆनल मात...
✺ब
चतुर चारण जात मां अनॆक जनमी
आइ...
मढळॆ जनमी मांइ साॆना सरखी
मां साॆनबाइ ...
✺त
नवॆ लाख नॆजाळी नॆ चारण विसरी
जात...
ऎमनॆ समरण कराववा अवतरी
मां मढळॆ साॆनल मात...
✺गो
जॆ दॆवी पुत्र ना नामॆ करता कुळां
काम...
साचाॆ कॆडाॆ बताववा अवतरी मां
मढळॆ साॆनल मात...
✺री
जॆ राका थइ नॆ रखडता जॆनॆ नहाॆती
जात नी भात...
ऎनॆ सभान करवा अवतरी मां मढळॆ
साॆनल मात...
✺या
खीज जॆनी खटकॆ नहि जॆनॆ रुदीयॆ
मिठी रीज...
ऎवी मढळा वाळी मात नी आवी
साॆनल बिज...
✺
भवरणॆ भवरणॆ भटकी रह्याॆ ऎनॆ
हद गाॆगी आइ...
मळी रुदीया नी मांइ स्वासॆ स्वासॆ
मां साॆनबाइ ...
✺
अवशर आव्याॆ आंगणॆ चारण थी
जॆऩॆ प्रीत...
हर्ष थी उजवाॆ चारणॆा आइ नी
साॆनल बिज...
✺
चारण नशॆा चीत मां हरदम दलडॆ
हाॆय...
ऎनॆ जरुर ना पडॆ जगत मां अवर
नशा नी काॆय...
✺टाइपींग~परबत गाॆरीया✺
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