कैकइ ताराॆ भरतजी भलॆ नॆ गादीयॆ
आवॆ रॆ
वन ना दॆ मारा राम नॆ रॆ
तारा मन नॆ रॆ फावॆ तॆ बीजुं मागी
लॆनॆ रॆ
वन ना दॆ मारा राम नॆ रॆ
कैकइ ताराॆ भरतजी भलॆ नॆ गादीयॆ
आवॆ रॆ
❈प
कहॆ ताॆ रॆ अयाॆध्या बीजुं तनॆ आभॆ
थी उतारी दउं
पण माॆत कां बगाड कैकइ मारुं रॆ
वन ना दॆ मारा राम नॆ रॆ
कैकइ ताराॆ भरतजी भलॆ नॆ गादीयॆ
आवॆ रॆ
❈र
कॆताॆ हुं तनॆ पायॆ लागुं कॆताॆ प्राण
त्यागु
कॆताॆ रॆ भीखारी थइ नॆ भीख मांगु रॆ
वन ना दॆ मारा राम नॆ रॆ
कैकइ ताराॆ भरतजी भलॆ नॆ गादीयॆ
आवॆ रॆ
❈ब
अविचारी नागण तुं सीद नॆ संतापॆ
कलॆजा मां लागॆ अमनॆ कटारी रॆ
वन ना दॆ मारा राम नॆ रॆ
कैकइ ताराॆ भरतजी भलॆ नॆ गादीयॆ
आवॆ रॆ
❈त
कहॆ कवि पींगळ दशरथ राजा
कैकइ नॆ समजावॆ
पण मानी नहि राणी नॆ राजा मुवा
रॆ कमाॆतॆ रॆ
वन दिधां मारा राम नॆ रॆ
कैकइ ताराॆ भरतजी भलॆ नॆ गादीयॆ
आवॆ रॆ
❈टाइपींग~परबत गाॆरीया❈
Saturday, December 24, 2016
कैकइ तारो भरतजी भले ने
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भजन
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