Tuesday, September 27, 2016

रवी साहेब भाण साहेब

      मन नी भ्रमणां
रवि साहॆब ~ गुरु भाण साहॆब
'
संताॆ महापुरषॆा मां घणा ऎवा संत
कॆ जॆऩॆ आपणॆ शीरमाॆळ संत कहियॆ
ऎमाना ऎक महापुरुष रवि साहॆब
तॆना गुरु भाण साहॆब..
'
भाण साहॆब नी बधी क्रुपा रवि
साहॆब उपर उतरी नहि ताॆ सगा
दिकरा खीम साहॆब हता...
'
पण बराॆबर ना लाग्युं ऎटलॆ बधी
क्रुपा रवि साहॆब उपर करी भाण
साहॆबॆ..
'
रवि साहॆब पी.ऎस.आइ.हता
नाॆकरी करता, नगरशॆठ ना दिकरा
हता,
ऎटलॆ सायबी नी ताॆ काॆॆइ सीमा
नहि
ऎटली ताॆ सायबी पाॆतानॆ.
'
चीत्राॆळ मां ऎमनी नाॆकरी मगज
ना थॆाडा आकरा.
'
सदगुरु भाण साहॆब नी चीत्राॆळ
मां पधरामणी.
भाण फॆाज कॆवाती, ऎक हजार
शीष्य भॆगा हजार सॆवक
रात्रॆ भजन नी ठॆार बाॆलॆ
'
अहि रवि साहॆब थॆाडा कडक
ऎटलॆ किधॆलुं कॆ तमारॆ भजनाॆ
करवां हाॆय ताॆ थॆाडाॆ समय करी
ल्याॆ नॆ पछी सुइ जाव
'
भाण साहॆब थाॆडा दिवस त्यां
राॆकाणां ऎटलॆ दराॆज रात्रॆ भजन
करॆ.
'
ऎमां काॆइयॆ कह्युं रवि साहॆब नॆ कॆ
काॆक बापु आव्या छॆ ऩॆ आखी रात
भजनाॆ करॆ छॆ. आपणां नियम नु
पालन नथी करता.
'
रवि साहॆब कहॆ जाव तॆमनॆ कहि
दीयाॆ कॆ बंध करी दियॆ बधुं
'
बॆ सॆवकाॆ आव्या नॆ सॆवकाॆ नॆ
किधुं कॆ अमारा रवि साहॆब थाॆडा
कडक छॆ
ऩॆ ऎमनॆा हुकम छॆ कॆ तमॆ भजनॆा
बंध कराॆ नॆ हरीहर करी नॆ सुइ
जाव.
'
धीमॆ धीमॆ वात भाण साहॆब सुधी
पहाॆची कॆ कॆाइ रवि साहॆब छॆ तॆ
भजन करवा नी ना पाडॆ छॆ.
'
भाण साहॆब कहॆ शु नाम किधुु
ऎमनुं रवि साहॆब?
ऎनॆ कहॆा भाण साहॆब आव्या छॆ
भजन चालु रहॆशॆ. बंध नहि थाय.
'
ऎ साहॆब छॆ ताॆ अमॆ पण साहॆब ज
छीयॆ.
'
पण ऒला सायब कॆवाय
आ साहॆब....
'
{साहॆब सभी का बाप हॆ बॆटा किसी
का नाहि...

बॆटा हाॆ कॆ उतरॆ वाॆ साहॆब कहावत
नाहि...}
'
इ साहॆबॆ हता सताधीस पुरुष
काळ नॆ पण कहि दॆ
माॆरार साहॆबॆ किधु नॆ वयाॆ जा
पाछॆा, ऎक वर्षॆ पछी आवजॆ.
'
सिपाइयाॆ नॆ माॆक्या नॆ किधुं कॆ
रवि साहॆब नॆ कहाॆ कॆ भजन चालु
रहॆसॆ.
'
सांभळी नॆ रवि साहॆब नॆ क्राॆध
आवॆ छॆ. नॆ
आवॆ छॆ त्यां ज्यां भाण साहॆब ना
भजनाॆ हतां.
'
साहॆब ढॆालीया माॆ बॆठा छॆ
रवि साहॆबॆ आवि नॆ पाॆतानी पासॆॆ
जॆ हथीयार हतुं तॆमा थी बॆ त्रण
अवाज कर्या.
'
पण भजन मंडळ मां काइ फॆर ना
दॆखायाॆ
आ मंडळ ऎवुं हतुं कॆ आवुं कंइ
साभळॆ नहि.
'
आवाॆ दॆकाराॆ ताॆ साभळॆ ज नइ.
कंइ ध्यान दिधु नइ ऎटलॆ क्राॆध
आव्याॆ ऩॆ पाछा त्रण अवाज कर्या
'
विचारॆॆ छॆ रवि साहॆब कॆ त्रण अवाज
कर्या नॆ ना लाग्युं कॆ ना कंइ फॆर
दॆखायाॆ.
'
पछी धिमॆ थी द्रष्टी करी नॆ जाॆयुं
नॆ ताॆ ढाॆलीयाॆ सवा हाथ उंचाॆ हताॆ
भाण साहॆब ऩॆा.
'
आ द्रष्य जाॆयुं नॆ भय लाग्याॆ
भय विना नी भक्ती ना हाॆय
अहि रवि साहॆब नॆ भय लागी
कॆ जाॆ आ महापुरुष ना मुख माथी
कांइ ऩिकडी गयुं
ताॆ मारुं ताॆ जळामुळ निकडवानुं
ज छॆ.
'
आवि भय लागी नॆ पट्टाॆ छॆाड्याॆ
वरदि नॆ उतारी ऎक साइड करी
नॆ सीध्धा भाण साहॆब ना पग
पक्ड्या.
'
गुरु महाराज मनॆ माफ कराॆ
'
भाण साहॆब कहॆ बस बॆसाॆ भजन
मां माफज छॆ.
'
अनॆ बॆठा हाॆ...
धीमॆ धीमॆ भक्ती ना रंगमां रंगाणा..
'
पण लांबाॆ टाइम टकॆ नहि.
बराॆबर साहॆब नाॆ सतसंग जामॆ
साहॆब ना भजन जामॆ
अनॆ खखॆरॆ
{उठी नॆ चाल्या जाय}
'
घरॆ वया जाय.
आवुं छऎक महिना चाल्युं ताॆ
भाण साहॆब ना ध्यान मां आव्युं
कॆ रवि नॆ आटलु बधु काम हसॆ.
भजन मां बॆसता नथी सतसंग
मां बॆसता नथी..
'
ऎक दिवस उभा थया नॆ राॆक्या
उभा रहाॆ रवि साहॆब
कइ बाजु जाव छॆा.?
बापु घरॆ जांवु पडॆ ऎम छॆ.
'
बापु : शुं छॆ घरॆ.?
रवि साहॆब : घरॆ मारां मातपिता छॆ
मारी पत्नी छॆ.मारा बाळकाॆ छॆ.
'
बापु: ऎताॆ बधा नॆ हाॆय..
'
रवि साहॆब : वात साची बापु पण
मारॆ जावुं पडॆ
हु जांव पछी बधा जमॆ.
''
थॆाडाॆ अलग प्रॆम छॆ. मारुं मुख
जाॆइ पछी ताॆ भाॆजन लॆ बधां
'
बापु : हॆ...ऎम ....ताॆ ताॆ जबराॆ
प्रॆम
ताॆ बराॆबर छॆ जावुं पडॆ हाॆ.
आ प्रॆम साचाॆ छॆ.??
'
रवि साहॆब : हा बापु साचाॆ.
बापु : जाॆ तमॆ ना हाॆव ताॆ..??
रवि. : बापु ताॆ ताॆ बधा मरी जाय
मारी वांहॆ.
'
बापु.: ऒ हाॆ ताॆ ताॆ गांडाॆ प्रॆम
पण तमॆ मनॆ गुरु किधा छॆ ताॆ
मनॆ मानाॆ छॆा.
'
रवि साहॆब : हा हु तमनॆ पण मानु
छुं..
बापु : कुटुंब जॆटला ज..
रवि साहॆब : हा कुटुंब जॆटला ज
'
{जॆसी प्रीती कुटुंब सॆ ऎसी गुरु
सॆ हाॆय...
चला जावॆ वैकुंठ मॆ पला पकडॆ
ना काॆय...}
!
ऎटलाॆ प्रॆम कराॆ छॆा ताॆ तमनॆ मारी
दुहाइ छॆ.
तमनॆ मारां साॆगन छॆ तमॆ घरॆ जाव
अनॆ कांइ बाॆलता नहि हुं आवु नॆ
कहुं त्यां लगी
बाॆलाॆ ताॆ मारा साॆगन छॆ तमनॆ.
parbatgoriya@gmail.com
गुरु महाराजॆ दुहाइ दिधी अनॆ
रवि साहॆब घरॆॆ आवि नॆ खाटला
माथॆ सुइ गया.
!
धीमॆ धीमॆ शॆठ आव्या नॆ शॆठाणी
आव्यां नॆ पत्नी आव्यां
अडाॆशी पडाशी आव्यां रवि नॆ कांइक थइ गयुं
थॆाडी वार मां ताॆ आखुं गाम भॆगु
थइ गयुं
नगरशॆठ ना दिकरा हता पाॆतॆ.
!
अटकळ बांधॆ छॆ बधाय
काॆइ कहॆ चाॆकि मां पग पडी गयाॆ
काॆइ कहॆ कांइक वरगाळ थइ गयाॆ
आवि अटकळॆा बांधॆ ऩॆ भुवा नॆ
भाराडीऒ,हकिमाॆ नॆ वैदाॆ भॆगा
थया बधा..
!
कलाक ऎक नु वाणुं वायुं नॆ भाण
साहॆब आव्या.
धीमां धीमां डगलां मांडता
आखु गाम घॆरी नॆ उभुं छॆ.

नजीक आवि नॆ कहॆ भाइ शुं थ्युं
??
'
अरॆ साहॆब जुवाॆ नॆ तमारी जुपडी
यॆ थी आव्या नॆ रवि नॆ कांइक
थइ गयुं
'
मनॆ जाॆवा दियाॆ माणसाॆ नॆ हटावि
नॆ भाण साहॆब नजदिक गया
रवि साहॆब नॆ जाॆइ नॆ कहॆ
ऒहाॆ..आ नॆ ताॆ जबराॆ वरगाळ छॆ.
'
बहु माॆटाॆ वरगाळ छॆ रवि नॆ
'
बापु काइ थसॆ...???
'
भाण साहॆब : हा थशॆ..
जीव साटॆ जीव दॆवाॆ पडशॆ ताॆ
उभाॆ थशॆ तमाराॆ रवि.
'
जीव साटॆ जीव नी वात आवि
ऎटलॆ गामना लाॆकाॆ धीमॆ धीमॆ
पाछा पगलॆ हटवा मांड्या
कॆ अहि ताॆ मरवा नी वात हालॆ छॆ
'
पण घरना क्यां जाय??
मां नॆ बापा नॆ पत्नी नॆ इ क्यां जाय
'
कहॆ बापु ऎवुं छॆ??
भाण साहॆब : हा आ काॆयनाॆ जीव
लॆशॆ ज..
Parbatgoriya@gmail.com
काॆइ उपाय बापु
कॆ हा...ऎक दुध नाॆ ग्लास मंगावाॆ
दुध नाॆ ग्लास मंगावी घर मां थी
माथॆ बॆक फुंकु मारी
रवि उपर थी उतार्याॆ, 
'
पासॆ रवि ना बापुजी उभाता नगर
शॆठ.
बापु कहॆ ल्याॆ शॆठ..आ प्यालाॆ पी
जाव..
तमारॆ ताॆ लीली वाडी छॆ.खुब.
तमाराॆ रवि हमणां बॆठॆा थइ जाय
तमारी आयुष्य ऎनॆ आपी दियाॆ.
'
शॆठॆ शॆठाणी सामॆ जाॆयुं कॆ आ डाॆशी
खळॆधळॆ छॆ ऎम.
ऎटलॆ मनॆ रॆवा दियाॆ.
'
जॆ थावा नु हतुं तॆ थइ गयुं मनॆ
रॆवा दियाॆ
'
आ बधुं सांभळॆ छॆ रवि साहॆब
पण गुरु नी दुहाय हती ऎटलॆ
बाॆलता न हता.
'
भाण साहॆबॆ मां नॆ किधुं कॆ मां तुं
भीना मां सुती छॆा नॆ तारा रवि नॆ
तॆं काॆरा मां सुवडाव्याॆ ताॆ
आम करी नॆ तॆं ऎनॆ माॆटाॆ कर्याॆ
'
आ ग्लास तुं पी जा तारु ऎक
अमर नाम थइ जशॆ.
'
ताॆ ऎणॆ शॆठ सामॆ जाॆयुं
कॆ आ शॆठ ऩुं सु पछी ऎम.
जॆ थावा नुं हतुं तॆ थइ गयुं
'
पत्नी नॆ किधुं ताॆ पत्नी कहॆ मारॆ
भायु चार छॆ.
क्रिया करम पतॆ ऎटली ज वार छॆ.
'
त्यां सुधी मां ताॆ गामना लाॆकाॆ ताॆ
पलाॆ कापी गयां हतां
'
भाण साहॆबॆ किधुं कॆ भाइ मारी
पाछळ काॆइ ऩथी
हुं पी जाउं ताॆ कॆवुं रहॆ.?
'
काॆइ राॆवॆ ऎवुं नथी मारॆ ...
'
त्यां ताॆ भॆगा थयां बधां
तमारी वांहॆ कथा करीयॆ ऩॆ
सतसंग करीयॆ, भजन करीयॆ
ठाकर थाळीयुं करीयॆ
भागवत बॆसाडीयॆ
बापु पी जावा ना छॆ जाणी नॆ बधा
माॆज मां आवि गयां..
'
बापु जॆ दुध नाॆ ग्लास हताॆ तॆ पी
गया.
पीधा पछी रवि नॆ कह्युं
बॆटा तुं ताॆ कॆताॆ हताॆ नॆ कॆ मारा
विना काॆइ खातां नथी जीवतां नथी
आ रितॆ रवि साहॆब ना मन नी
भ्रमणां भांगॆ छॆ भाण साहॆब
~रामदास गाॆंडलीया ना ऒड्याॆ
मां थी सांभळॆली वात
भुलचुक क्षमां करशॆा
~टाइपींग परबत गाॆरीया

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